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18 सित॰ 2023

भारत का शांतिनिकेतन UNESCO की विश्व धरोहर सूची में शामिल, पीएम मोदी ने जताई खुशी

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<p style="text-align: justify;"><strong>West Bengal Santiniketan:</strong> पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है. शांतिनिकेतन में ही कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने एक सदी पहले विश्वभारती की स्थापना की थी. यूनेस्को ने रविवार (17 सितंबर) को सोशल मीडिया एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में यह घोषणा की.</p> <p style="text-align: justify;">यूनेस्को ने कहा, "यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शांतिनिकेतन शामिल, भारत को बधाई." पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित इस सांस्कृतिक स्थल को यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल कराने के लिए भारत लंबे समय से प्रयास कर रहा था.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>पीएम मोदी ने जताई खुशी</strong></p> <p style="text-align: justify;">पीएम मोदी ने शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने पर खुशी जताई. उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के दृष्टिकोण और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल पर खुशी हुई. ये सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण है."&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>शांतिनिकेतन यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल</strong></p> <p style="text-align: justify;">शांतिनिकेतन को विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने के लिए एक दस्तावेज तैयार करने पर काम करने वाली प्रसिद्ध संरक्षण वास्तुकार आभा नारायण लांबा ने कहा कि वह खबर सुनने के बाद खुशी से झूम उठीं.&nbsp;उन्होंने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से कहा, "हमने 2009 में दस्तावेज पर काम किया था और शायद तब समय सही नहीं था, लेकिन हम हमेशा शांतिनिकेतन की सुंदरता में विश्वास करते थे और आज इसे यूनेस्को की सूची में देखकर इसकी पुष्टि हुई."&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने क्या कहा?</strong></p> <p style="text-align: justify;">पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने पर खुशी जताई.&nbsp;स्पेन के दौरे पर गईं सीएम ने एक्स पर पोस्ट किया, "खुशी और गर्व है कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का शहर-हमारा शांतिनिकेतन अब अंततः यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल हो गया है. विश्व बांग्ला के गौरव, शांतिनिकेतन को गुरुदेव की ओर से तैयार किया गया था और पीढ़ियों से बंगाल के लोगों ने इसमें सहयोग किया है."</p> <p style="text-align: justify;">मुंबई में रहने वालीं लांबा ने कहा कि एक बार जब इकोमोस ने इसे सूची में शामिल करने की सिफारिश की, तो यह लगभग निश्चित था कि ऐसा होगा. कुछ महीने पहले, अंतरराष्ट्रीय परामर्श संस्था इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (इकोमोस) द्वारा इस ऐतिहासिक स्थल को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई थी.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>फ्रांस की इकोमोस ने भी थी सिफारिश&nbsp;</strong></p> <p style="text-align: justify;">फ्रांस आधारित इकोमोस अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है जिसमें पेशेवर, विशेषज्ञ, स्थानीय अधिकारी, कंपनियों और धरोहर संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं और यह दुनिया के वास्तुशिल्प एवं धरोहर स्थल के संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पित है. यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र की आधिकारिक वेबसाइट पर दर्ज विवरण के मुताबिक, कोलकाता से 160 किमी दूर शांतिनिकेतन मूल रूप से रवींद्रनाथ टैगोर के पिता देबेंद्रनाथ टैगोर द्वारा बनाया गया एक आश्रम था, जहां जाति और पंथ से परे कोई भी, आ सकता था और शिक्षा ले सकता था.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;">इसमें कहा गया है कि महर्षि के नाम से प्रसिद्ध देबेंद्रनाथ टैगोर भारतीय पुनर्जागरण के अग्रणी व्यक्ति थे. महर्षि की ओर से निर्मित संरचनाओं में शांतिनिकेतन गृह और एक मंदिर था. वेबसाइट पर कहा गया, "19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में निर्मित दोनों संरचनाएं शांतिनिकेतन की स्थापना और बंगाल और भारत में धार्मिक आदर्शों के पुनरुद्धार और पुनर्व्याख्या से जुड़ी सार्वभौमिक भावना के साथ अपने संबंध में महत्वपूर्ण हैं."&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>जानें शांतिनिकेतन के बारे में</strong></p> <p style="text-align: justify;">भारत के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक शांतिनिकेतन में स्थित विश्वभारती में मानविकी, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, ललित कला, संगीत, प्रदर्शन कला, शिक्षा, कृषि विज्ञान और ग्रामीण पुनर्निर्माण में डिग्री पाठ्यक्रम की पेशकश की जाती है. विश्वविद्यालय की स्थापना रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी. 1951 में संसद के एक अधिनियम की ओर से इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया था. विश्वभारती पश्चिम बंगाल का एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय है और प्रधानमंत्री इसके कुलाधिपति हैं.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें-&nbsp;</strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong><a title="कर्नाटक में तीन डिप्टी सीएम बनाने की मांग पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बोले- इस पर फैसला..." href="https://ift.tt/vmLE0jy" target="_self">कर्नाटक में तीन डिप्टी सीएम बनाने की मांग पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बोले- इस पर फैसला...</a></strong></p>

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